श्रीपाद दामोदर सातवळेकर एक महान विद्वान और लेखक थे जिन्होंने अपने जीवन को वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित किया। उनका जन्म 1867 में सावंतवाडी में हुआ और 1968 में उनका देहांत हो गया। उन्होंने “स्वाध्याय मंडल” की स्थापना की और “संस्कृत स्वयं शिक्षक” जैसी रचनाओं के माध्यम से वैदिक ग्रंथों को सरल और सुलभ बनाया, जिससे वैदिक संस्कृति में एक बौद्धिक पुनर्जागरण हुआ।