आर्योंका भगवा ध्वज-Aryo ka Bhagva Dhvaj

ध्वज यह किसी भी राष्ट्र, संस्था, समूह, विचार, योद्धाकी कीर्तिका और स्वभिमानका स्वरुप है। राष्ट्रकी कीर्ति, यश, धन, प्रतिष्ठा, सत्ता, सौंदर्य, बलकी विजय पताका हमेशा फहराती रहे यह प्रत्येक राष्ट्रकी, राष्ट्रके लोगोंकी हृदयंगम भावना और दृढ इच्छा होती है।
आर्य अर्थात् श्रेष्ठ और उनका सबकुछ श्रेष्ठ। आर्यावर्तकी इस भूमिमें अनेक राजा, चक्रवर्ती सम्राट आदि आए और उत्तम शासनसे प्रजाको सुखी करकें देवलोक प्राप्त किया। अनेक पाशवी और परदेशी सत्ताए इस देसमें शासन हेतु आई, तब इस देशकी अस्मिताका ध्वज हमेशा भगवा ही रहा है। हर तरहसे सामर्थ्यवान एसा यह आर्यावर्त बड़ी द्रढताके साथ मानता है की हमारे मूलमें वेदोंके विचार, ऋषि, वीर वीरांगनाए, संत और सतीयां है। यहाँ पद पद पर क्रान्ति और मानवताकी प्राप्तिके लिए बलिदान है इन सबके प्रतिक स्वरूप हमने भगवे ध्वजको आजकलसे ही नहीं अपितु आदिकालसे ही स्वीकारा है। वही हमारी शान है, मान है, स्वाभिमान है। इस ध्वजके तले ही अनेक लोगोंके बलिदान और हमारी भव्य विरासतकी रचना हुई है, जो हमारे जीवनमें और विकसित होनेमें मार्गदर्शक है। यह भगवा ध्वज ही हमारा प्राण है, हमारी चेतना है, हमारी कीर्ति है।
एसी अस्मिता जगानेवाली यह पुस्तक है की जिसका अध्ययन करनेसे आर्य व्यक्तिओमें भगवे ध्वज और उसके प्रति सभानता एवं गौरव बढेगा। इस भावसे स्वाध्याय मंडल किल्ला पारडी द्वारा इस पुस्तकका प्रकाशन हुआ है जिसका हमें गौरव है।
लेकिन भगवा ध्वज ही क्यों? क्या भगवा ध्वज पहलेसे है या कालक्रमसे धर्मआग्रहीयोंके आग्रहसे ध्वज भगवा हुआ है? क्या आज भी हमारा ध्वज भगवा है या सिर्फ हम हिन्दुओंका ध्वज भगवा है? क्या देवताओंका ध्वज भी भगवा है? भगवे ध्वजका वर्णन वेदोंमें है? भगवे ध्वजके लिए हमारी द्रढ़ता और समज बढ़ानेवाला, गौरव बढाये एसे हरएक प्रश्नोंके उतर पाठक इस ‘आर्योंका भगवा ध्वज’ पुस्तक द्वारा प्राप्त कर सकेंगे एसी हमारी दृढ धारणा है।

निवेदन
स्वाध्याय मण्डल, किल्ला पारडी

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Author :

Shripad Damodar Satwalekar

Pages :

36

Edition :

Second

Publishing Year :

2024

Language :

Hindi

Binding :

Soft Binding

Publisher :

Swadhyay Mandal

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