परिचय
‘हिन्दु संघटन’ यह पुस्तक हिन्दुओकी संघटन शक्तिमें नया प्राण फूंककर चेतना जगानेवाला पुस्तक है। ‘संघे शक्ति कलोयुगे’ के पदको चरितार्थ करनेवाला है। धन, साधन, संपत्ति, व्यक्ति, ज्ञान, विज्ञान, तत्वज्ञान, तकनिकी, विरासत, नीतियां, बल, बुद्धि, कुदरती संपदाए, व्यवस्थाए इत्यादिमेंसे हमारे पास पिछले हजारो वर्षोंसे किसीकी भी कमी न होनेपर भी हम कितनोंकी गुलामियां, असहनीय यातनायें भोगकर आज भी पूर्ण हिन्दवी स्वराज्य प्राप्त नहीं कर पाए! इसका कारण है हमारी एकताका अभाव! पिछले हज़ारो वर्षोंसे हमने सबकुछ प्राप्त किया, हमे सबकुछ पढाया गया पर हमें एक्यके पाठ नहीं पढ़ाये गये, जो भी दुर्दशा आजतक हमारी हुई है और हो रही है उन सबका एकमात्र कारण है हममें एकता का अभाव।
हमारी एकताके अभावसे ही यज्ञ – संगतिकरण, मैत्रिकरण, देवपूजा, और दानके आदर्श पर खड़ी हमारी हिन्दु सनातन संस्कृति तथा मेधाजनन, संगठन और विजयकी नीति पर आधारित हमारा वैदिक स्वराज्य हमसे दूर हुआ है। ऐसे समयमें यह पुस्तक हमारी संघटनाका अभाव, उसके कारण, उसके त्वरित तथा दूरगामी परिणाम, संघटन शक्ति, संघटन शक्तिको कैसे मजबूत करे, संघटनके लिए हमारे कर्तव्य इन सभी बातोंको एसी उत्तम शैलीसे बताता है की वाचक मित्र बड़ी सरलतासे समज सके। यह पुस्तक हिन्दकी प्रजा पढ़ेंगी, जीवन व्यवहारमें लायेंगी तो हिन्दुस्थानकी संघटना होनेसे कोई रोक नहीं पायेगा।
पंडित श्रीपाद दामोदर सातवळेकर द्वारा रचित स्वाध्याय मंडल किल्ला पारडीकी ओरसे इस पुस्तकको पुनः प्रकाशित करते हुए हमें अत्यंत खुशी और गर्वकी अनुभूति हो रही है। सभी हिन्दु, सनातनी और भारतीय भाई-बहनों तक एकताके इस तत्वको साहित्यके रूपमें पहुंचानेका भगीरथ कार्य प्रारम्भ किया है, उसी प्रकार यदि आप सभी लोग ‘अखण्ड हिन्दु संघटना’ के इस महान यज्ञमें भाग लेंगे तो यह भगवान वेदनारायण, असंख्य वीर योद्धाओं, संतों, मुनियों, महापुरुषों और सतियोंके प्रति कृतज्ञताकी अभिव्यक्ति मानी जाएगी।
निवेदन
स्वाध्याय मण्डल, किल्ला पारडी
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