हमने स्वयं सशास्त्र, समंत्र एवं खास पद्धतिसे प्रतिदिन सूर्यनमस्कारका नियमसे अभ्यास किया। हमने देखा कि इससे हमारी शारीरिक एवं मानसिक उन्नति बहुत हुई। ऐसी ही उन्नति सब स्त्री-पुरुषोंकी हो, इसी विचारसे हमने ‘सूर्य-नमस्कार’ नामकी छोटी पुस्तक मराठीमें लिखी। पंडित सातवलेकरजीने अपने ‘भारत-मुद्रणालय’ में छापकर उसे १९२२ ई. में प्रकाशित किया।
इस छोटी पुस्तकसे तथा हमारे अन्य लेखों एवं व्याख्यानोंके कारण सूर्यनमस्कारकी महत्ता महाराष्ट्रके बाहर उत्तरमें काश्मीर तक तथा दक्षिणमें लंका-सीलोन तक फैल गई। किंतु उत्तर भारत, दक्षिण भारत एवं लंकामें मराठी भाषाका प्रचार नहीं है। फलतः उन स्थानोंके अनेक आरोग्य-इच्छुक विद्वानोंने हमसे कहा तथा पत्रोंके द्वारा भी सूचित किया कि पुस्तक अंग्रेजी भाषामें लिखी जाये, जिससे संपूर्ण भारतवर्षमें, यही नहीं, भारतसे बाहर भी सूर्यनमस्कारकी आवश्यकता एवं महत्ता प्रतीत हो। हमें भी यह बात जँची और सन १९२८ ई. में ‘सूर्य-नमस्कार’ नामकी पुस्तक अंग्रेजीमें प्रसिद्ध हुई। इस पुस्तकमें नमस्कार कैसे करना चाहिये, उनसे शरीरके कौन कौन स्नायु और अन्तरिंद्रियाँ सुदृढ होती हैं, चित्तकी एकाग्रता कैसे बढती है, किसको कितना लाभ हुआ, नमस्कारोंसे सोलह आना लाभ होनेके लिये योग्य आहार कौनसा है, आहार कैसे तैयार करना चाहिए इत्यादि अनेक आनुषंगिक महत्त्वके विषयोंका विवेचन किया और विषयको स्पष्ट करनेके लिये ३०-३२ चित्र भी दिये। इसलिए यह अंग्रेजी पुस्तक मराठी पुस्तककी अपेक्षा बहुत बडी हो गई। वह हिंदुस्थानमें इतना पसंद आयी कि वह अबतक तीन बार छप चुकी और उसका भाषांतर हिंदी, कानडी, तेलगू, तामिल, गुजराती, बंगाली भाषाओंमें हुआ। इन भाषाओंमें भी यह पुस्तक अनेक बार छप चुकी। इसके सिवा मल्यालम और उर्दू भाषाओंमें भाषांतर हो रहा है।
इस पुस्तकमें हमारे अंग्रेजी पुस्तककी सब बातें संक्षेपमें दी हैं। नमस्कारके कुछ आसनोंमें, आसनोंके प्राणायाममें और अन्यान्य बातोंमें जो जो सुधार अबतक हुए, वे सब इस पुस्तकमें शामिल किए हैं। इस पुस्तकके साथ नमस्कारका बडा चित्रपट भी तैयार किया है। उसमें दसों आसनोंके बडे चित्र देकर प्रत्येक आसन शास्त्रोक्त प्राणायाम सहित कैसे किया जाय, इसकी सविस्तर सूचना भी दी गई है।
सूज्ञ पाठकोंसे हम यही आशा करते हैं कि वे सब आबालवृद्ध स्त्रीपुरुष शास्त्रशुद्ध एवं विशेष पद्धतिसे नमस्कार करके अपना शारीरिक और मानसिक-उभयविध कल्याण कर लें, तथा अपना अनुभव दूसरोंसे कहकर उन्हें भी नमस्कार करनेके लिए उत्साहित करें।
भवानराव पंडित (औंध नरेश)
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