हिन्दुस्थान अखण्ड ही होता है! जो अखण्ड है वो ही हमारा हिन्दुस्थान है। आज़ाद भारतमें अखण्ड हिन्दुस्थानकी प्राप्ति ही हमारा परम लक्ष्य और हिन्दुस्थानके लिए जीवनकी आहुति देनेवाली महान हुतात्माओंके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है, कृतज्ञता है। हिन्दुस्थान अखण्ड बने यह इस मिट्टीके कणकणसे निर्मित हर एकका परम कर्तव्य है। अखण्ड हिदुस्तान ही हमारा मुलभूत और पूर्ण स्वरूप है। अखण्ड हिन्दुस्थान ही शिव है, शक्ति है, नारायण है, सूर्य है, गणेश है, हमारी आत्मा है, सनातन है, वैभव है, शोभा है, हमारा पूर्ण स्वरूप और हमारा सर्वस्व है।
इस ‘अखण्ड हिन्दुस्थान’ पुस्तक द्वारा आर्यावर्त, भारत, हिन्दुस्थानका भौगोलिक और भावनिक ऐसा पूर्ण स्वरूप यहाँ दिया गया है। देवताओं द्वारा निर्मित यह भूमि और उसके नगर, ऋषिओंके तपसे बढ़ा हुआ सत्व, भगवद् स्वरूप यह अखण्ड मातृभूमि ही हमारी शिव शक्ति स्वरूपा है। हम उसीके भक्त है। जिसको हमने माँ कहके पुकारा है, वह खण्ड खण्ड बंटा हो यह हमारे लिए असहनीय है। हमारी मातृभूमिका अखण्डत्व और हमारी अखण्ड एकता ही हमारी शोभा है।
अखण्ड हिन्दुस्थानका स्पष्ट चित्रण और स्वरूप इस पुस्तकमें दिया गया है। अखण्ड हिन्दुस्थान पुस्तकका अध्ययन करनेवाले हर व्यक्तिके मनमें एकबार तो अखण्ड हिदुस्तानकी प्राप्तिका ध्येय अवश्य जागृत होगा।
पंडित श्रीपाद श्रीदामोदर सातवलेकर निर्मित स्वाध्याय मंडल, किल्ला पारडी द्वारा यह पुस्तकको पुनः प्रकाशित करते हुए हमें बहुत ही आनंद और गर्वकी अनुभूति हो रही है। हम सबको अखण्ड हिन्दुस्थानकी प्राप्तिके ध्येयकी की लगन लगे एसी भावनासे लिखा और प्रकाशित किया गया यह पुस्तक हरएक व्यक्ति तक पहोंचे ऐसी प्रार्थना।
निवेदन
स्वाध्याय मण्डल, किल्ला पारडी
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